अपने गाव में तथा अपने आस पास मंदिर जरूर होता है. और हम हर रोज मंदिर जाते है. हिन्दू धर्म में मंदिर भगवान का स्थान और घर है. मंदिर एक पवित्र स्थान है जहां पर जाने से मन को एक अलौकिक शांति मिलती है, मन प्रसन्न हो जाता है. माना जाता है की मंदिर जाने पर हमारी मनोकामना पूर्ण होती है. लेकिन क्या आपको पता है यह सब क्यों होता है? इसके पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है?
मंदिर क्यों जाते हैं? वैज्ञानिक तर्क
मंदिरों को जानबूझकर ऐसी जगह पर पाया जाता है, जहां चुंबकीय और विद्युत तरंग सकारात्मक ऊर्जा रूप से उपलब्ध होती है. इसीलिए मंदिर वो स्थान होता है, जहां पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. मंदिर का गर्भगृह वो स्थान होता है, जहां पृथ्वी की चुंबकीय तरंगें सबसे ज्यादा होती हैं और वहां से ऊर्जा का प्रवाह सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में अगर आप इस ऊर्जा को ग्रहण करते हैं, तो आपका शरीर स्वस्थ रहता है. मस्तिष्क शांत रहता है. आपका मन एकाग्र होता है और प्रसन्नता महसूस करता है.
मूर्ति पूजन क्यों करते हैं? वैज्ञानिक तर्क
हिंदू धर्म में मूर्ति का पूजन किया जाता है. हर एक हिंदू मंदिर में तथा हिंदू घर में भगवान की मूर्ति अवश्य होती है. यदि आप पूजा करते वक्त कुछ भी सामने नहीं रखेंगे तो आपका मन अलग-अलग वस्तु पर भटकेगा. यदि सामने एक मूर्ति होगी, तो आपका मन स्थिर रहेगा और आप एकाग्रता से ठीक ढंग से पूजा कर सकेंगे.आपका मन मूर्ति के माध्यम से सीधे ही परब्रह्म के साथ जुड़ जाता है.
क्यों बजाते हैं मंदिर में घंटा? वैज्ञानिक तर्क
हिंदू मान्यता के अनुसार मंदिर में प्रवेश करते वक्त घंटा बजाना शुभ होता है. घंटे की ध्वनि हमारे मस्तिष्क में विपरीत तरंगों को दूर करती हैं और इससे पूजा के लिए एकाग्रता बनती है. घंटे की आवाज़ 7 सेकंड तक हमारे दिमाग में ईको करती है. और इससे हमारे शरीर के सात उपचारात्मक केंद्र खुल जाते हैं. हमारे दिमाग से नकारात्मक सोच भाग जाती है.
दूसरा कारण यह है कि जब संध्या होती है या सूर्योदय होता है तब वातावरण में सबसे अधिक मात्रा में कीटाणु पाए जाते हैं. ध्वनि की तीव्र तरंगे इस कीटाणुओं को मार सकती है. इसी कारणवश सूर्योदय तथा संध्या के समय पर मंदिर में पूजा होती है और जोर-जोर से घंटा और शंख बजाया जाता है. जिससे ध्वनि की तीव्रता रंगे उत्पन्न होती है जो वातावरण में फैले हुए कीटाणु को मार देती है. वैज्ञानिक तथ्य है कि मंदिर या किसी भी अर्चना स्थल पर पूजा की घंटी और शंख बजाने से वातावरण कीटाणु मुक्त और पवित्र होता है. शंख की ध्वनि से मलेरिया के मच्छर भी खत्म हो जाते हैं.
हवन या यज्ञ क्यों किया जाता है? वैज्ञानिक तर्क
किसी भी अनुष्ठान के दौरान यज्ञ अथवा हवन किया जाता है. हवन सामग्री में जिन प्राकृतिक तत्वों का मिश्रण होता है, वह और कर्पुर, तिल, चीनी, आदि का मिश्रण के जलने पर जब धुआं उठता है, तो उससे घर के अंदर कोने-कोने तक कीटाणु समाप्त हो जाते हैं. कीड़े-मकोड़े दूर भागते हैं. हवन यज्ञ करने से पूरा माहौल कीटाणु मुक्त बनता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा है. हवन करने से कर रोगमुक्त बनता है.
धुप क्यों जलाते है? वैज्ञानिक तर्क
घर में जब पूजा करते हैं तो हम लोग धूप या अगरबत्ती जलाते है. यह तो चारकोल से बनती है. यह चारकोल का धुआ वातावरण में फैले छोटे-छोटे कीटाणु को मारने में कारगर है. हम पूछा प्रातः काल या तो संध्या में ही करते हैं. इस वक्त सूर्य की मौजूदगी ना होने के कारण वातावरण में कीटाणु अचानक से बढ़ जाते हैं. इसीलिए प्रातः काल तथा संध्या की आरती में धूप जलाने से एवं शंख बजाने से यह सब कीटाणु मर जाते हैं.
इसलिए हमारे घर के मंदिर में प्रातः काल तथा संध्या में पूजा अवश्य करनी चाहिए. और पूजा करते समय जोर-जोर से घंटा तथा शंख बजाने चाहिए साथ में धूप और अगरबत्ती जलाने भी चाहिए. ऐसा करने से कर कीटाणु मुक्त और रोग मुक्त बनता है.