नॉन स्टिक बर्तन के ऊपर कौन सा मटेरियल होता है?
नॉन स्टिक बर्तन के ऊपर जो मैटेरियल होता है उसका नाम है PTFE (Polytetrafluoroethylene). यह PTFE लोगों में टेफलोन के नाम से ज्यादा प्रचलित है. इसका कारण यह है कि इसका आविष्कार करने वाली कंपनी डुपोंट इसे टेफलोन के ब्रांड नेम से मार्केट में बेचती है.
PTFE का आविष्कार 1938 में रॉय प्लंकेट नाम के डुपोंट कंपनी के रसायन शास्त्री ने किया था. इस मटेरियल की ख़ासियत यह है कि खाने को अपने साथ चिपकने नहीं देता है. टेफलोन की सतह इतनी बारीक और सपाट होती है. इस PTFE की अणु रचना देखी जाए तो उसके अंदर कार्बन का एक परमाणु फ्लोरीन के दो परमाणु के साथ बंधन में रहता है और सभी कार्बन एक दूसरे के साथ जुड़कर एक लंबी श्रृंखला बनाते हैं. फ्लोरीन की ख़ासियत यह है कि वह कार्बन के साथ जितना मजबूत बंध बनाता है उतना ही दूसरे अणुओं से दूरी बनाए रखता है. इसी वजह से PTFE अपनी सतह के ऊपर किसी को चिपकने नहीं देता है.
Teflon (PTFE) को तवे पर कैसे चिपकाया जाता है?
टेफलॉन का आविष्कार 1938 में हुआ लेकिन उसमें यह इतना ज्यादा उपयोग में नहीं लिया जाता था. क्योंकि उस समय पता नहीं था कि टेफलोन को धातु के ऊपर कैसे चिपकाया जाए इसका आविष्कार 1956 में मार्क ग्रेगोइरे (Marc Grégoire) नाम के फ्रेंच इंजीनियर ने किया था.
टेफलोन को तवे की सतह के ऊपर चिपकाने के लिए पहले उसे थोड़ा बड़ी खबर बनाना पड़ता है. इसके लिए सबसे पहले तवे की सतह के ऊपर मेटल के छोटे-छोटे एकदम बारीक टुकड़ों का ब्लास्टिंग किया जाता है. उसके बाद गरमा गरम प्रवाही stainless-steel का उसके ऊपर स्प्रे किया जाता है. इसके कारण तवे के ऊपर एकदम बारीक सुई जैसी लाखों रचना बन जाती है. इसके बाद इस सतह के ऊपर एक के बाद एक टेफलोन की कोटिंग लगाई जाती है. इसी तरह अल्युमिनियम के ऊपर भी टेफलॉन को लगाया जा सकता है लेकिन उसकी प्रोसेस थोड़ी अलग है.
टेफलॉन एक थर्मोप्लास्टिक पॉलीमर है जिसका मतलब होता है कि एक बार वो ठोस बन जाता है तो उसका आकार बदलता नहीं है. टेफलोन को अगर पिघलाना भी है तो उसके लिए 327 °C जितना तापमान चाहिए.
इन्हीं सब खासियत की वजह से टेफलोन को तवे के ऊपर चिपकाया जाता है. तथा एक बार चिपकने के बाद वह किसी और केमिकल से रिएक्शन भी नहीं करता है.
क्या नॉन स्टिक बर्तन सेहत के लिए हानिकारक है?
जैसे हमने देखा कि टेफलोन 327 °C पिघलता है. इसीलिए अगर इससे ज्यादा तापमान रखें नॉन स्टिक तवे पर रसोई बनाई जाए तो टेफलोन आपके खाने में जा सकता है. अगर थोड़ी मात्रा में टेफलोन के टुकड़े शरीर में जाते हैं तो उसका ज्यादा कोई नुकसान नहीं है.
सामान्यतः रसोई मैं पकोड़े या समोसे तलने के समय जो धुआधार गर्म तेल होता है उसका तापमान 260 °C होता है. जो 327 °C से बहुत कम है. लेकिन फिर भी यह सलाह दी जाती है कि इसका के टेफलोन का टेंपरेचर 200 के ऊपर ना जाए. क्योंकि 200°C के बाद टेफलोन की कार्य क्षमता कम होती जाती है तथा ज्यादा वपराश के कारण खराब हो सकता है.
अगर आप नॉनस्टिक खाली सब्जी बनाने तथा डोसा बनाने के लिए उपयोग में लेते हैं तो इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है. इसको समोसे या दूसरी कोई चीजें तलने के लिए कम ही यूज करें तो अच्छा है.
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