आज के जमाने में ब्लड प्रेशर की बीमारी एक आम बात हो गई है. काफी लोग ब्लड प्रेशर की बीमारी से परेशान है. इस आर्टिकल में हम एकदम सरल भाषा में जानेंगे कि ब्लड प्रेशर क्या होता है? और इसे कैसे कंट्रोल किया जा सकता है?
ब्लड प्रेशर क्या होता है?
ह्रदय द्वारा हमारे पूरे शरीर में रक्त कोशिकाओं के माध्यम से रक्त का प्रसार(circulation) होता है. यह प्रसारित रक्त का रक्त कोशिकाओं की दीवाल पर जो दबाव बनता है यानी कि प्रेशर बनता है उसे ब्लड प्रेशर कहते हैं. लो प्रेशर ज्यादा भी नहीं होना चाहिए और कम भी नहीं होना चाहिए. अगर ब्लड प्रेशर 140/90 mmHg से बढ़ता है तो उसे हाई ब्लड प्रेशर के आने की हाइपरटेंशन कहते हैं.और वही पे ब्लड प्रेशर 90/60 mmHg से कम हो जाता है तो उसे लो ब्लड प्रेशर या फिर हाइपोटेंशन कहते हैं.
हाई ब्लड प्रेशर की वजह से ह्रदय तथा किडनी से संबंधित काफी समस्या हो सकती है, जैसे कि हार्ट अटैक आना, स्ट्रोक आना या फिर किडनी फेल होना. लो ब्लड प्रेशर की वजह से चक्कर आना या फिर बेहोश हो जाना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
ब्लड प्रेशर की समस्या क्यों होती है?
हमारे शरीर में बहुत सारी रक्त वाहिनी है, इस सभी रक्त वाहिनी भर जाए उतना खून हमारे शरीर में नहीं है. इसीलिए शरीर के किस भाग को ज्यादा खून की जरूरत होती है वहां हमारा शरीर खून ज्यादा भेजता है. और जहां पर कम जरूरत होती है वहां पर कम भेजता है. जैसे खाने के बाद, खाने को पचाने के लिए हमारी जठर के पास खून की ज्यादा आवश्यकता होती है इसलिए वहां पर खून ज्यादा होता है.
इसी तरह कसरत करने के बाद या फिर गर्म पानी से नहाने के बाद हमारे स्नायु को ज्यादा खून की जरूरत होती है. इसलिए हमारी रक्त कोशिकाएं वहां पर बड़ी हो जाती है और वहां पर खून की मात्रा बढ़ जाती है. जब खून की आवश्यकता कहीं पर बढ़ जाती है तो हमारी हार्ट रेट भी यानी कि ह्रदय की घबकारे भी बढ़ जाती है. जिससे खून का प्रवाह हमारे शरीर में बढ़ता है और जिससे में खून की जरूरत होती है वहां पर समय सर खून पहुंच जाता है.
कार्डियोलॉजी में ब्लड प्रेशर तथा ह्रदय द्वारा जो खून पंप किया जाता है उसके बीच में एक सूत्र द्वारा संबंध दिखाया गया है.
ब्लड प्रेशर(B.P.) = ह्रदय द्वारा पंप किए जाने वाला खून (CV, cardiac output) X रक्त कोशिकाओं द्वारा होने वाला अवरोध (SVR, systemic vascular resistance)
इसीलिए जब हम कोई भारी काम करते हैं या व्यायाम करते हैं तो हमारे शरीर को खून की आवश्यकता ज्यादा होती है. इस पूर्ण करने के लिए हमारा ही खून का ज्यादा पंपिंग करता है. इस सूत्र के हिसाब से CV यानी कार्डियक आउटपुट बढ़ता है जिससे हमारा BP भी बढ़ जाता है. इसी तरह गर्म पानी से नहाने के बाद हमारी रक्त कोशिकाएं थोड़ी बड़ी हो जाती है, जिससे कि SVR यानी कि सिस्टमैटिक वैस्कुलर रेजिस्टेंस कम हो जाता है इससे हमारा BP भी कम हो जाता है.
ब्लड प्रेशर को कैसे कंट्रोल किया जा सकता है?
उपरोक्त सूत्र से यह पता चलता है कि अगर हमारे ब्लड प्रेशर को नियमित रखना है तो हमें दो चीजों का ध्यान रखना चाहिए. पहले जो चीज है वह हमारा SVR. एसबीआर यानी कि हमारे रक्त कोशिकाओं द्वारा मिलने वाला अवरोध. और दूसरी चीज है हमारा Cardiac Output(CV). अगर SVR और CV दोनों कंट्रोल में है तो हमारा BP हमेशा कंट्रोल में रहेगा.
SVR तब बढ़ता है जब हमारी रक्त कोशिकाओं के अंदरूनी दीवाल पर कोलेस्ट्रॉल जमना शुरू होता है. बैड कोलेस्ट्रॉल हमारे ब्लड में बढ़ जाता है तो उसकी वजह से हमारी रक्त कोशिकाओं का अंदरूनी व्यास यानी कि internal diameter कम हो जाता है. जिससे रक्त बहने में अवरोध पैदा होता है. एसवीआर को कंट्रोल करने के लिए हमें हमारी खानपान में ध्यान रखना चाहिए गुड केलोस्ट्रोल जिस चीजों में है उसको ज्यादा सेवन करना चाहिए और बेड केलोस्ट्रोल जिस चीजों में है उसका कम सेवन करना चाहिए एसबीआर को कंट्रोल करना हमारे हाथ में है.
अगर हमारा कार्डियक आउटपुट(CV) यानी की ह्रदय द्वारा पंप होने वाला खून की मात्रा कंट्रोल में होगी तो बीपी कंट्रोल में रहता है. कार्डियक आउटपुट सीधे तौर से हमारे हाथ रेट के साथ जुड़ा हुआ है.
CV(cardiac output)= HR (Heart rate, हार्ट रेट) X SV (Stroke volume, प्रत्येक धड़कन में पंप होने वाली खून की मात्रा)
प्रत्येक धड़कन में हमारा हृदय तकरीबन 55 to 100 मिलीलीटर खून का बहाव करता है. यह मात्रा प्रत्येक इंसान में तकरीबन नियंत्रित रहती है, इसमें बहुत ही कम फेरफार होता है. तो हम बोल सकते हैं कि हमारा कार्डियक आउटपुट यानी कि CV सीधा हार्ट रेट से कंट्रोल होता है. अगर हार्ट रेट ज्यादा तो कार्डियक आउटपुट ज्यादा और अगर हार्ट रेट कम तो कार्डियक आउटपुट कम.
हमारी हार्ट रेट को कंट्रोल करने का काम हमारे गले की दोनों तरफ पाए जाने वाले Baroreceptors नामक संवेदक का है. Baroreceptors हमारे शरीर के रक्त दाब यानी कि ब्लड प्रेशर तथा SVR का धड़कन टू धड़कन डाटा अपने पास प्राप्त करता है. जैसे ही हमारा BP या SVR कम या ज्यादा होता है तो उसके लिए सुधारात्मक कार्यवाही के तौर पर Baroreceptors हमारी हार्ट रेट को बढ़ाते हैं या कम करते हैं.
इसके अलावा हमारा ब्लड प्रेशर एड्रीनलीन(adrenaline) हार्मोन से भी कंट्रोल होता है. जब भी हमें घबराहट महसूस होती है तब भी एड्रीनलीन हार्मोन बढ़ जाते हैं और जिसकी वजह से बीपी हमारा बढ़ जाता है. हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी हमारे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है.