भारतीय सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है. तथा हिंदू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है. भारत के लोग बहुत सी हिंदू परंपराओं(Hindu tradition) का पालन करते हैं. काफी बार हमें इन परंपराओं के पीछे का तर्क पता नहीं होता है. जैसे हम लोग तुलसी तथा पीपल के पेड़ की पूजा क्यों करते हैं? गंगा नदी को इतना पवित्र क्यों मानते हैं? मरने के बाद अस्थियां गंगा में ही क्यों वह आनी चाहिए? इस आर्टिकल के द्वारा हम कुछ हिंदू परंपराओं के पीछे क्या वैज्ञानिक तर्क(scientific reason) है यह जानने का प्रयास करेंगे. तो चलिए जानते हिंदू परंपरा ए तथा उनके पीछे क्या विज्ञान है (Hindu dharma and science).
1. बाहर जाने से पहले दही और चीनी क्यों खाया जाता है?
मुझे याद है कि मेरी माँ परीक्षा में घर जाने से पहले हमें दही और चीनी देने के लिए इस्तेमाल करती थी. कोई भी अच्छे काम के लिए जब घर से बाहर जाते है तो हिन्दू संस्कृति के मुताबिक हम दही चीनी खा के निकलते है, जिससे काम सफल हो.
वैज्ञानिक कारण(scientific reason):
दही में कैल्शियम और प्रोटीन भारी मात्रा में मौजूद होता है. जबकि चीनी में बहुत सारा ग्लूकोज होता है जो थकावट दूर करके उर्जा प्रदान करता है. यह पाचन तंत्र आसान भी करता है. बाहर निकलने से पहले इसका उपभोग करना एक बढ़िया विकल्प है. किसी भी तनावपूर्ण गतिविधि से पहले इसका उपभोग करना एक प्रभावशाली इलाज है.
अगर घर से बाहर निकलते समय आपने दही चीनी खाई है तो आपका शरीर फुर्तीला रहेगा. आपका मन ठीक से काम कर पाएगा. अगर ऐसा होता है तो आपका काम सफल होना ही है. इसी वजह से हमको घर से बाहर निकलते समय दही चीनी खाना चाहिए.
2. नदी में सिक्के क्यों फेंकते हैं?
ऐसा माना जाता है यदि यह तालाब में सिक्के फेंकने से किस्मत अच्छी हो जाती है. लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है.
वैज्ञानिक कारण(scientific reason):
प्राचीन समय में, अधिकांश मुद्रा आज के स्टेनलेस स्टील के विपरीत तांबा की बनी थी. कॉपर एक महत्वपूर्ण धातु है जो मानव शरीर के लिए बहुत उपयोगी है. नदी में सिक्कों को फेंकने का एक तरीका हमारे पूर्वजों ने सुनिश्चित किया था. ताकि हम पानी के हिस्से के रूप में पर्याप्त तांबे का सेवन करे. दूसरा कारन ए है की तांबा यानि कोपर को पानी डालने से पानी शुद्ध रहता है.
3. अस्थियों को गंगा में क्यों डाला जाता है?
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार मृतक की अस्थियां जब तक गंगा में रहती हैं तो मृतात्मा शुभ लोगों में निवास करता हुआ आनंदित रहता है. जब तक मृत आत्मा की भस्म गंगा में प्रवाहित नहीं करते, मृत आत्मा की परलोक यात्रा प्रारम्भ नहीं होती. शवदाह पूरा होने के बाद मृतक की अस्थियों को किसी पवित्र जल स्त्रोत में बहाया जाता है. आमतौर पर अस्थियां गंगा में बहाना ज्यादा शुभ माना जाता है.
वैज्ञानिक कारण(scientific reason):
अस्थियों के वैज्ञानिक परीक्षण से यह सिद्ध हुआ है कि इसमें फास्फोरस अत्यधिक मात्रा में होती है. जो खाद के रूप में भूमि को उपजाऊ बनाने में विशेष क्षमता रखती है. गंगा हमारे कृषि प्रधान देश की सबसे बड़ी नदी है. गंगा तक़रीबन आधे भारत में हो कर बहती है. तो यह पानी जहा से भी बहेगा वहा की जमीन बहुत ही उपजाऊ होगी.
4. सूर्य को सुबह-सुबह जल क्यों चढ़ाया जाता है?
सूर्य को जल चढ़ाने की परम्परा बहुत पुराने समय से है. धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव को जल चढ़ाने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और मनुष्य पर सूर्य का प्रकोप नहीं होता है. मन जाता है की इससे राशि दोष ख़त्म हो जाते हैं.
वैज्ञानिक कारण(scientific reason):
विज्ञान के अनुसार सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें ज्यादा तेज नहीं होती है. सूर्य की ए किरणें शरीर के लिए एक औषधि का काम करती हैं. उगते सूर्य को जल चढ़ाते समय जल की धार में से सूर्य को देखने से सूर्य की किरणें जल में से छन कर हमारी आँखों तथा शरीर पर पड़ती हैं. जिससे आँखों की रौशनी तेज होती है तथा पीलिया, क्षय रोग, तथा दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है. सूर्य की किरणों से विटामिन-डी भी प्राप्त होता है. इसके अलावा सुबह सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से शुद्ध ऑक्सीजन भी हमें मिलती है.
5. तुलसी के पौधे की पूजा क्यों की जाती है?
आज भी ज्यादातर घरों में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है. हिन्दू धर्म के अनुसार तुलसी की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि तथा खुशहाली आती है.
वैज्ञानिक कारण (scientific reason):
विज्ञान के अनुसार तुलसी वातावरण को शुद्ध करता है. जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर का वातावरण शुद्ध होता है. तुलसी मच्छरों तथा कीटाणुओं को दूर भगाता है जिससे वायु शुद्ध होती है.
इसके अलावा तुलसी में रोग प्रतिरोधी गुण होते हैं. इसकी पत्तियां खाने से शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है (immunity booster). लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्तियों का इस्तेमाल भी होगा और इससे बीमारियां दूर होती हैं.
तुलसी को संजीवनी बूटी से कम नहीं समझा जाता है. तुलसी को देवी का दर्जा इसलिए दिया गया ताकि समाज में हर तबके के लोग उसको लगाएं और देखभाल करें. तुलसी बहुत महत्वपूर्ण औषधि है. चाय में तुलसी डालने से शरीर की ऊर्जा बनी रहती है और कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है.
माना जाता है कि तुलसी घर में लगाने से सांप नहीं घुस सकते.
6. पीपल के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है?
धार्मिक मान्यता के अनुसार रोजाना पीपल की पूजा करने से घर की सुख, समृद्धि बढ़ती है. लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. शास्त्रों के अनुसार पीपल पर साक्षात ब्रह्मा, विष्णु और शिव निवास करते हैं. इस पर लक्ष्मी तथा पितृ का वास भी बताया गया है.
वैज्ञानिक कारण (scientific reason):
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पीपल 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है जो प्राण वायु है और मानव जीवन के लिये बहुत जरूरी है. पीपल का वृक्ष गर्मी में शीतलता (ठंडक) तथा सर्दी में उष्णता (गर्मी) प्रदान करता है. आयुर्वेद के अनुसार पीपल का हर भाग जैसे तना, पत्ते, छाल और फल सभी चिकित्सा के काम में आते हैं जिनसे कई गंभीर रोगों का इलाज होता है.
एक दूसरा कारण इस वृक्ष को काटे जाने से बचाने का भी है. लोग इस वृक्ष को काटे नहीं, इसलिए इसकी पूजा का महत्व है. क्योंकि जीने के लिए ऑक्सीजन जरूरी है और सबसे ज्यादा ऑक्सीजन पीपल का वृक्ष ही देता है.
इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटे नहीं. पीपल एकमात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है.
7. गंगा को माँ क्यों माना जाता है?
गंगा नदी पर तक़रीबन भारत की आधी जनसँख्या निर्भय है. गंगा भारत की सबसे बड़ी नदी है. एक तरीके से देखा जाये तो गंगा नदी ही हमारा भरण पोषण करती है. पानी के साथ साथ हमारे लिए अच्छी खेती लायक जमीन भी गंगा की ही देन है. इसी लिए ऋषि मुनियों ने गंगा को मां का दर्जा दिया है.
हम गंगा को मां मानते हुए इसकी पूजा अर्चना करते है ताकि हम इसको शुद्ध रख सके. लेकिन आज कल लोग इससे विपरीत गंगा को बहोत ही गन्दा करते है जो की बिलकुल गलत है.
गंगा को पावन इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इसके जल में कुछ ऐसे प्राकृतिक तत्व होते हैं, जिनके संपर्क में आने से शरीर रोग मुक्त और निर्मल हो जाता है.
8. गोमूत्र पवित्र क्यों माना जाता है?
गोमूत्र को हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र मन गया है. गोमूत्र को सोने से भी कीमती मना किया है. लेकिन क्या ये खाली मानने की बात है या इसके पीछे कोई कारण भी है?
वैज्ञानिक कारण (scientific reason):
गोमूत्र में गंधक और पारद (मरक्यूरी) के तात्त्विक अंश प्रचुर मात्रा में होते हैं. यकृत और प्लीहा जैसे रोग गोमूत्र के सेवन से दूर हो जाते हैं. गोमूत्र कैंसर जैसे रोगों को ठीक कर देता है तथा संक्रामक रोगों को नष्ट कर देता है. गोमूत्रं चरपरा, तीक्ष्ण, गरम, खारा, कसैला, हल्का, अग्निप्रदीपक, मेधा को हितकारी, पित्तनाशक व कफ, वात, शूल, गुल्म, उदर, अफारा, खुजली, नेत्र-रोग, मुखरोग, किलासकोढ़, वात-संबंधी रोग, वस्तिरोग, कोढ़, खांसी, सूजन, कामला तथा पाण्डुरोग नाशक है.
गोमूत्र पिया जाए तो खुजली, किलासकोढ़, शूल, मुख-रोग, नेत्र- मूत्र ही लेना चाहिए. गाय का मूत्र कसैला, कड़वा, तीक्ष्ण, कान में डालने से कर्णशूल नाशक और प्लीहा (तिल्ली), उदररोग, श्वास, खांसी सूजन, मलरोग, ग्रहबाधा, शूल, गुल्म, अफारा, कामला व पाण्डुरोग नाशक है.
हिन्दू धर्म तथा इससे जुड़े विज्ञान की विशेष जानकारी के लिए निचे दिए गए आर्टिकल देखे