Thursday, November 21, 2024
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हिंदू सामाजिक प्रथाएं तथा विज्ञान (science)

हिंदू समाज में शादी, जन्म, मरण को लेकर बहुत सारी सामाजिक प्रथा(Hindu tradition) है. इन प्रथाओं का सब हिंदू पालन भी करते हैं. लेकिन यहां पर हम लोग आज चाहिए जानने का प्रयास करेंगे कि इन प्रथाओं(tradition) के पीछे क्या कारण है? यह सब हिंदू सामाजिक प्रथाओं के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण(scientific reason) है? इन हिन्दू सामाजिक प्रथाओं (Hindu tradition) का पालन हम सालों से क्यु कर रहे है?

1. एक ही गोत्र में शादी क्यों नहीं की जाती?

धार्मिक मान्यता के अनुसार समान गोत्र में शादी करना प्रतिबंधित है. मान्यता के अनुसार एक ही गोत्र का होने के कारण स्त्री पुरुष भाई बहन कहलाते हैं. एक ही गोत्र वालों के पूर्वज समान होते हैं. इसलिए एक ही गोत्र में शादियां नहीं की जाती हैं. यह बात थोड़ी अजीब भी लगती हैं कि जिन स्त्री, पुरुष ने कभी एक दूसरे को देखा तक नहीं, तथा अलग अलग जगहों पर तथा अलग अलग माहौल में पले बढ़े, फिर वे भाई, बहन कैसे बन गये? 

वैज्ञानिक तर्क(scientific reason) :

एक ही गोत्र में शादी नहीं करनी चाहिए इसके पीछे ठोस वैज्ञानिक तर्क है. समान गोत्र का होने के कारण चाहे वे भाई बहन हों या न हों लेकिन उनके गुणसूत्र (Chromosome) समान होते हैं. इसलिए अगर एक गोत्र के स्त्री, पुरुषों की शादी होती है तो उनके बच्चे आनुवंशिक (Genetic)  बीमारियों के साथ पैदा होते हैं.

ऐसे बच्चों में अनु वांशिक दोष जैसे मानसिक कमजोरी, अपंगता आदि गंभीर रोग जन्मजात ही पाए जाते हैं. ऐसे बच्चों की विचारधारा, व्यवहार आदि में कोई नयापन नहीं होता है. इनमें रचनात्मकता का अभाव होता है. 

बहुत से शोध करने के बाद वैज्ञानिकों को ये बात पता चली कि मनुष्य को जेनेटिक बीमारी न हो इसके लिए एक इलाज है ‘सेपरेशन ऑफ़ जींस’. यानी अपने नजदीकी रिश्तेदारों में विवाह नहीं करना.

रिश्तेदारों में जींस अलग (विभाजन) नहीं हो पाते हैं और जींस से संबंधित बीमारियां जैसे कलर ब्लाइंडनेस आदि होने की संभावनाएं बनी रहती हैं. संभवत: पुराने समय में ही जींस और डीएनए के बारे खोज कर ली गई थी और जिस कारण एक गोत्र में विवाह न करने की परंपरा का निर्माण हुआ.

2. दोनों हाथ जोड़कर क्यों प्रणाम किया जाता है?

हिन्दू परम्परा(Hindu tradition) तथा भारतीय संस्कृति के अनुसार किसी से मिलते समय हम हाथ जोड़कर अभिवादन करते है. अक्सर पूजा में बैठते समय या भगवान के सामने हाथ जोड़ते हैं. किसी के प्रति सम्मान दिखाना है तो भी हम लोग हाथ जोड़कर इसे व्यक्त करते है. इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण(scientific reason) क्या है? 

वैज्ञानिक तर्क (scientific reason)

हाथ जोड़ने पर हाथ की सभी अँगुलियों के सिरे एक दूसरे से मिलते हैं. जिससे उन पर दबाव पड़ता है. यह दबाव एक्यूप्रेशर का काम करता है. एक्यूप्रेशर चिकित्सा के अनुसार इसका सीधा असर हमारी आँखों, कानों तथा दिमाग पर पड़ता है. जिससे सामने वाला व्यक्ति हमें लम्बे समय तक याद रहता है.

इसके पीछे एक और तर्क है. अगर आप हाथ मिलाने के बजाय हाथ जोड़कर अभिवादन करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु हम तक नही पहुंच पाते हैं. हाथ जोड़कर अभिवादन करने से एक दूसरे के हाथों का सम्पर्क नहीं हो पाता है. जिससे बीमारी फ़ैलाने वाले वायरस तथा बैक्टीरिया हम तक नहीं पहुंच पाते हैं. इस तरह हम अनजानी बीमारियों से बच पाते हैं.

3. शादी में हल्दी क्यों लगाते हैं?

हिंदू शादियों में दूल्हा और दुल्हन को शादी से पहले हल्दी लगाई जाती है. इसे हल्दी की रस्म कहते हैं. लेकिन यह हल्दी क्यों लगाई जाती है? क्या है तर्क इसके पीछे?

वैज्ञानिक तर्क(scientific reason) : 

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि हल्दी एक अच्छी एंटीबायोटिक है. हल्दी कैंसर जैसे रोगों का उपचार करने की भी शक्ति रखती है. दूसरा कारण ये है की हल्दी आपकी त्वचा को गोरा भी बनती है. हल्दी लगाने से दूल्हा-दुल्हन की त्वचा गोरी बनती है और कीटाणु मुक्त भी हो जाती है.

4. बारिश के मौसम में शादी के मुहर्त क्यों नहीं होते?

ज्यादातर बारिश के मौसम में शादी के मुहूर्त नहीं होते हैं. लेकिन इसके पीछे का कारण क्या है?

वैज्ञानिक तर्क(scientific reason) :

मानसून के महीने वर्ष के सबसे कमजोर महीने हैं. जलवायु में बदलाव के कारण आसानी से आदमी बीमार हो सकता है. बारिश के दौरान पाचन शक्ति तथा रोगप्रतिकारक शक्ति कमजोर होती है. इन दिनों पानी और हवा के माध्यम से रोग फैलने का खतरा ज्यादा होता है. यही कारण है कि इस महीने में विवाह, पारिवारिक उत्सव और अन्य सांप्रदायिक गतिविधियां आयोजित नहीं की जाती हैं.

5. जन्म के बाद सूतक क्यों रखा जाता है?

जब भी कोई नया बच्चा पैदा होता है, हिंदु सुतक की परंपरा का पालन करते हैं. सूतक दस से पंद्रह दिन तक रखा जाता है. सूतक के दिनों में लोग मंदिर तथा कोई प्रसंग में जाते नहीं है. लेकिन क्या इसके साथ कोई वैज्ञानिक कारण(scientific reason) या तर्क जुड़ा हुआ है? या यह सिर्फ एक सादा मिथक है और लोगों के साथ अंधविश्वास का एक रूप है.

वैज्ञानिक तर्क (scientific reason):

एक बच्चे को जन्म देने के बाद एक महिला बहुत कमजोर हो जाती है और वह थक जाती है. उसे बहुत आराम की आवश्यकता होती है, ताकि उसका शरीर जन्म देने के दौरान खोए गए ताकत को वापस भर सके. वह अपने कमरे में दस से चौदह दिनों तक सीमित रहती है, ताकि उसका शरीर अच्छी तरह से ठीक हो जाए. उसे इस कारण से काम करने और बाहर जाने की अनुमति नहीं है.

परंपरागत रूप से, सूतक की अवधि ब्राह्मणों के लिए दस दिन, क्षत्रिय के लिए बारह, वैश्य के लिए सोलह से बीस दिन और शूद्र के लिए तीस दिन है. मध्ययुगीन काल में, शूद्र जाति की महिलाओं को ऊपरी जाति के लोगों के खेतों और घरों में बहुत से शारीरिक कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी. यही कारण था कि उनकी सुकट अवधि सबसे लंबी थी, ताकि उनके शरीर अपने दैनिक कामों को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से ठीक हो जाएं. 

इसके अलावा, नवजात शिशु संक्रमण के लिए बहुत संवेदनशील और नाजुक है. नवजात में रोगप्रतिकारक शक्ति बहोत ही कम होती है. यही कारण है कि, सूतक के दौरान नवजात शिशु के पास दस से तीस दिनों तक छूने या जाने से मना किया जाता है.

6. मौत के दौरान सूतक क्यों रखा जाता है? 

मौत के दौरान मनाया गया सूतक पाटक के रूप में भी जाना जाता है. यह परिवार के सदस्य की मृत्यु के बारह से सोलह दिनों के लिए दैनिक जीवन गतिविधियों को त्यागने की अवधि है. यह सूतक मृतक के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों द्वारा पालन जाता है.

वैज्ञानिक तर्क (scientific reason): 

यदि कोई व्यक्ति गंभीर बीमारी से मर जाता है, तो उसके घर का पर्यावरण दूसरों के लिए बहुत संक्रमण हो सकता है. यहां तक कि मृत व्यक्ति के परिवार के सदस्य भी संक्रमण के वाहक के रूप में कार्य कर सकते हैं. वैज्ञानिक रूप से, एक “वाहक” वह व्यक्ति होता है जो स्वयं बीमारी से संक्रमित नहीं होता है लेकिन सीधे संपर्क में आने से बीमारी को दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित कर सकता है. इसलिए मृतक का परिवार सूतक का पालन करता है ताकि दूसरे लोगों को रोग से दूर रखा जा सके. 

7. पैर छूना / चरण स्पर्श क्यों किया जाता है?

हम अपने बड़ों, बुजुर्गो का सम्मान और उनका आदर करने के लिए उनके पैर छूते हैं. पैर छूना या चरण स्पर्श करना भारतीयों संस्कारों का एक हिस्सा है. जो सदियों से चला आ रहा है. यही संस्कार बच्चों को भी सिखाये जाते हैं ताकि वे भी अपने बड़ों का आदर करें और सम्मान करें.

वैज्ञानिक तर्क (scientific reason) :

प्रत्येक मनुष्य के शरीर में मस्तिष्क से लेकर पैरों तक लगातार ऊर्जा का संचार होता है. जिसे कॉस्मिक ऊर्जा कहते हैं. जब हम किसी के पैर छूते हैं तब उस व्यक्ति के पैरों से होती हुई ऊर्जा हमारे शरीर में तथा हमारे हाथों से होते हुए उसके शरीर में पहुंचती है. 

और जब वह व्यक्ति आशीर्वाद देते समय हमारे सिर पर हाथ रखता है तब वह ऊर्जा दोबारा उसके हाथों से होती हुई हमारे शरीर में आती है. इस तरह पैर छूने से हमें दूसरे व्यक्ति की ऊर्जा मिलती है। जिससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. तथा मन को शांति मिलती है.

मस्तिष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है. इसे कॉस्मिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं. इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है, या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक.

8. धार्मिक कार्यो, शुभ अवसरों पर पूजा पाठ में हाथ पर कलवा क्यों बांधते हैं?

हिन्दू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कार्य, शुभ अवसर या पूजा पाठ पर दाहिने हाथ में कलवा (मौली धागा) बांधा जाता है. शास्त्रों के अनुसार हाथ पर कलावा बांधना शुभ होता है और इससे देवी देवता प्रसन्न होते हैं.

वैज्ञानिक तर्क (scientific reason):

विज्ञान के अनुसार दाहिने हाथ की कलाई में ऐसी नसें होती हैं जो दिमाग तक जाती है. उस जगह कलावा बाँधने से उन नसों पर दबाव पड़ता है जिससे दिमाग तक रक्त संचार सुचारु रूप से होता है. जिससे दिमाग शांत रहता है. कलवा वात, कफ तथा पित्त जैसे रोग दोषों का खतरा भी कम करता है.

9. तुलसी को दांतों से चबाकर क्यों नहीं खाना चाहिए? 

यह एक लोकप्रिय मान्यता है कि तुलसी भगवान विष्णु की पत्नी है; इसलिए, चबाने पर यह अनादर का निशान होगा.

वैज्ञानिक तर्क(scientific reason):

वनस्पतिविदों ने अपने शोध के दौरान पाया कि तुलसी संयंत्र में अधिकतम पारा है अगर कच्चे पारा दांतों पर लागू होता है, तो वे तुरंत गिर जाते हैं. यही कारण है कि हिंदू धर्म में, तुलसी के पत्तों को चबाया नहीं जाता है, लेकिन निगल लिया जाता है.

10. शादी तथा मंगनी की अंगूठी हमेशा अनामिका में ही क्यों? 

आप ने देखा होगा की हम हमेशा शादी तथा मंगनी की अंगूठी अनामिका (चौथे नंबर की उंगली, ring finger)में ही पहनते है. हमारे पूर्वजों ने ऐ रिवाज क्यों बनाया होगा?

वैज्ञानिक तर्क (scientific reason): 

यह वैज्ञानिक तौर से सिद्ध हुआ है कि इस उंगली की तंत्रिका समान रूप से पूरे मस्तिष्क न्यूरॉन कोशिकाओं में फैलती है. और इस उंगली में होने वाले किसी भी लगातार धातु के घर्षण के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है. यह हमारे जीवन की समस्या को आसानी से तथा आत्मविश्वास से निपटने में मदद करता है. यही कारण है कि पूरी दुनिया में, पुरुषों और महिलाओं के लिए सोने की अंगूठी इसी उंगली में पहनाई जाती है.

हिन्दू धर्म तथा इससे जुड़े विज्ञान की विशेष जानकारी के लिए निचे दिए गए आर्टिकल देखे

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