भारत में हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसी समय मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है? इसके पीछे क्या वैज्ञानिक कारण है? चलिए जानते हैं
मकर संक्रांति का मतलब है मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होता. मकर संक्रांति के दिन से सर्दी की ऋतु खत्म होती है. जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है उस दिन से दिन बड़े होने लगते हैं. मकर संक्रांति के दिन से, सूर्य अपनी उत्तरवर्ती यात्रा या उत्तरायण यात्रा शुरू करता है. इसलिए, इस त्योहार को उत्तरायण के रूप में भी जाना जाता है.
भारत में विभिन्न राज्यों में विभिन्न प्रकार के लोग भिन्न भिन्न बोलिया बोलते है. उनके सांस्कृतिक और रीतीरिवाज के अनुसार ही मकर सक्रांति का पर्व विभिन्न नामो से मनाया जाता है. उत्तरी भारत में जहा इसे मकर संक्रांति और संक्रांति, उत्तरायण, खिचडी अथवा संक्रांत कहते हैं.
हरियाणा एवं पंजाब में इसे त्योहार को लोहड़ी के नाम से मनाते है. उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से दान का पर्व है. इलाहाबाद में यह पर्व माघ मेले के रूप में मनाया जाता है. तामिलनाडू में इसे पोंगल के नामसे मनाते है जबकि कर्नाटक ,केरल तथा आंध्रप्रदेश में इसे केवल सक्रांति ही कहते है. असम तथा बंगाल में इसे माघ बिहू के नाम से मनाया जाता है. लेकिन भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
मकर संक्रांति तथा विज्ञान
ये त्यौहार हरेक राज्य में अपने तरीके से मनाया जाता हे. तो हम यहाँ पे संक्रांत के दिन होने वाली हरेक मान्यता का कारण बताएंगे.
१) पतंग उड़ाना: मकर संक्रांति में पतंग उड़ाने के बहुत पुराना रिवाज है. सर्दियों में हम धुप में बहुत कम निकलते है और शरीर में बहुत सारे इन्फेक्शन हो जाते है. सर्दियों में त्वचा भी रुखी हो जाती है इसलिए धुप में निकलना जरुरी होता है.
जब सूर्य उत्तरायण में होता है तो उस समय सूर्य की किरणों में ऐसे तत्व होता है जो हमारे शरीर के लिए दवा का काम करते है. पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर ज्यादा से ज्यादा समय तक सूर्य की किरणों के सम्पर्क में रहता है. इससे हमारे शरीर को विटामिन डी प्राप्त होता है.
२) तिल गुड़ खाना : मकर संक्रांति के समय उत्तर भारत में ठंड का मौसम रहता है. इस मौसम में तिल-गुड़ का सेवन सेहत के लिए लाभदायक रहता है. सर्दी के सीजन में हमारी पाचन क्षमता सबसे अच्छी होती है. अगर इस समय हम तेल गुड़ का सेवन करने से इसका महत्तम लाभ मिलता है. यह चिकित्सा विज्ञान भी कहता है. इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है जो सर्दी में शरीर की रक्षा रहती है.
३) नदी में नहाना: मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है. इससे तमाम तरह के चर्म रोग दूर हो सकते हैं. इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है.
४) खिचड़ी का सेवन : इस दिन खिचड़ी का सेवन करने का भी वैज्ञानिक कारण है.खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है. अदरक और मटर मिलाकर खिचड़ी बनाने पर यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है.
५) गाय तथा बेल की पूजा: सक्रांति के समय गाय तथा बेल को सजाया जाता है. गुड़, मूंगफली और अन्य खाद्य पदार्थों से मिलाया जाता है. इसके पीछे का कारण है कि वे खेतों में काम के अगले सत्र के लिए तैयार हो जाएं और फिट हो जाएं.
६) पोंगल बांट के खाना: भूमि से आने वाले उपज का एक हिस्सा मंदिरों को दान दिया चाहता है. और एक हिस्से का पोंगल बनाया जाता है. पोंगल को ताजा चावल का उपयोग करके पकाया जाता है और रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच वितरित किया जाएगा. इस अभ्यास से साझा करने और देखभाल करने की खुशी महसूस होती है.