अगर आप हीरे खरीदने के लिए जोहरी के वहां पर जाते हो तो आपको हीरा प्रति कैरेट के मूल्य में मिलेगा, ना कि प्रति ग्राम के मूल्य में. हीरे तथा बाकी कीमती रत्नों को (जैसे कि नीलम) कैरेट में मापा जाता है, ना कि ग्राम में. सोना भी अगर एकदम शुद्ध हो तो उसे 24 कैरेट का कहा जाता है. ऐसा क्यों होता है की हीरे तथा किमती आभूषणों के लिए कैरेट का इस्तेमाल होता है? आइए जानते हैं.
वास्तव में कैरेट एक बीज का नाम है. भूमध्य समुद्र के आजू बाजू के देश जैसे कि ग्रीस, स्पेन, इटली तथा उत्तर अफ्रीका के कुछ देशों में कैरोब नाम का वृक्ष होता है. इस वृक्ष के बीज को कैरेट कहते हैं. कैरेट दिखने में इमली के बीज जैसा छोटा और चपटा होता है.
कैरोब वृक्ष की खासियत यह है कि उसके हर एक बीज का वजन समान होता है. बीज का वजन होता है 200 मिलीग्राम यानी कि 0.2 ग्राम .अगर वजन में फर्क भी है तो ज्यादा से ज्यादा 5 मिलीग्राम का उससे ज्यादा नहीं. इसी खासियत की वजह से पुराने जमाने में यूरोप में हीरो का वजन करने के लिए इन कैरेट का उपयोग किया जाता था. अगर एक हीरा 1 कैरेट बिज के जितना होगा तो उसे 1 कैरेट का हीरा बोला जाता था.
वही प्रणाली आज तक चली आ रही है. आज के जमाने में कैरेट के बीजों का इस्तेमाल हीरे का वजन करने के लिए नहीं होता है लेकिन आज भी हीरे को कैरेट में ही मापा जाता है. अगर हीरा छोटा है तो उसे सेंट में मापा जाता है. 1 सेंट कैरेट का 100 वां हिस्सा है.
1907 में General Conference on Weights and Measures द्वारा कैरेट को हीरे का वजन मापने के लिए आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय एकम माना गया. और तय किया गया कि 1 कैरेट बराबर 200 मिलीग्राम.
शुद्ध सोने को क्यों 24 कैरेट का कहा जाता है?
इस प्रथा की शुरुआत हुई थी रोमन साम्राज्य में. रोमन साम्राज्य में आर्थिक व्यवहार के लिए शुद्ध सोने के सिक्कों का उपयोग होता था. इन सिक्कों को सोलिद्स (solidus) कहा जाता था. इस शुद्ध सोने के सिक्के का वजन था 24 कैरेट. मतलब की एक सिक्का वजन में 24 कैरेट बीच के बराबर था. इसीलिए आम भाषा में उस समय 24 कैरेट मतलब शुद्ध सोना होता था. यही पैमाना तब से लेकर आज तक चला आ रहा है पढ़ लो शुद्ध सोने को 24 कैरेट ही कहते हैं.
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