हिन्दू धर्म में व्रत रखने का बहुत महत्व है. अलग-अलग त्योहारों पर तथा महीने के कुछ खास दिवस जैसे की एकादशी पर व्रत या उपवास रखने का खास महत्व है. लोग, खासतौर पर महिलाएं अपनी अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुसार अलग अलग देवी, देवताओं को मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं. और फिर सप्ताह में एक दिन या खास मौकों या त्योहारों पर अपने देवी देवताओं के लिए व्रत रखते हैं. जिसमें वे पूरे दिन बगैर अन्न खाए सिर्फ फल खाकर ही रहते हैं.
धर्म और मान्यता के अनुसार व्रत रखने से देवी, देवता प्रसन्न होते हैं तथा कष्टों और परेशानियों को दूर करके, मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है की व्रत या उपवास रखने के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण है? जो हमारे बुजुर्ग काफी सालों से यह प्रथा का पालन करते आ रहे हैं?
वैज्ञानिक तर्क
धर्म और मान्यता के साथ साथ सप्ताह में एक दिन व्रत रखना वैज्ञानिक दृष्टि से भी फायदेमंद है. आयुर्वेद के अनुसार व्रत रखने से और दिन भर में सिर्फ फल खाने से पाचन क्रिया को आराम मिलता है. जिससे पाचन तंत्र (Digestion) ठीक रहता है और शरीर से हानिकारक तथा जहरीले तत्व बाहर निकल जाते हैं. जिससे शरीर तथा स्वास्थ्य ठीक रहता है.
एक शोध के अनुसार सप्ताह में एक दिन व्रत रखने से कैंसर, मधुमेह तथा हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है. हर दिन ऊट पटांग खाने से पाचन तंत्र खराब हो सकता है. अगर कोई मशीन भी सतत शुरू रहती है तो वह भी खराब हो जाती है. फिर तो यह हमारा मानव शरीर है इसे भी आराम की आवश्यकता होती है. इसीलिए साधु-संतों ने उपवास को धर्म के साथ छोड़ दिया है. जिससे लोगों को अपने शरीर को आराम देने का एक अवसर मिल सके.
इसी लिए कुछ लोग हफ्ते में शनिवार हनुमान जी के नाम पर वास रखते हैं. या फिर किसी और दिन कोई और भगवान के नाम पर उपवास रखते हैं. या फिर महीने में 1 दिन जैसे की एकादशी को या फिर पूनम को 1 दिन उपवास रख लेते हैं. और साल में कुछ बड़े त्योहारों में जैसे की होली, करवा चौथ छठ पूजा के मौकों पर लोगों को उपवास रखने की सलाह दी जाती है. इससे हमारे शरीर के पाचन तंत्र को आराम मिलता है. जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है.
जब हम उपवास करते हैं, तो शरीर में ग्लूकोज नहीं मिलता है, जिससे शरीर को ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किसी और स्त्रोत की आवश्यकता रहती है. नतीजतन, शरीर ग्लूकोजजेनेसिस (gluconeogenesis) शुरू करता है, इसका मतलब है शरीर अपने आप ग्लूकोस उत्पन्न करता है. यकृत गैर-कार्बोहाइड्रेट सामग्री जैसे लैक्टेट, अमीनो एसिड और चर्बी को ग्लूकोज ऊर्जा में परिवर्तित करके मदद करता है.
उपवास में हमारा शरीर ऊर्जा का कम से कम उपयोग करता है. जिससे हमारे हृदय की गति तथा ब्लड प्रेशर नियमित हो जाते हैं. जो एक स्वस्थ शरीर के लिए बेहद आवश्यक है. तथा जब उपवास खत्म करते हैं तब बताया जाता है नींबू पानी पीना चाहिए जिससे गैस की समस्या खत्म हो जाती है.
तो जब आप उपवास करेंगे तो ध्यान में रखें कि यह खाली के धार्मिक विधि नहीं है इसके पीछे विज्ञान का ज्ञान छुपा हुआ है. तो आप उपवास करें और दूसरों को भी उपवास करने की सलाह दें.