ज्यादातर लोग ऐसा मानते हैं कि टोमेटो सॉस और टोमेटो केचप एक ही समान है. ऐसा माना जाता है की टोमेटो केचप और टोमेटो सॉस एक ही चीज के दो अलग-अलग नाम है. लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह दोनों अलग-अलग चीज है. टोमेटो सॉस और केचप में एक बारीक अंतर है.
टोमेटो सॉस और टोमेटो केचप के बीच का अंतर सन 1987 अमेरिका के तत्कालीन प्रमुख रोनाल्ड रिगन को नहीं पता था. जिसकी वजह से वह एक मुसीबत में पड़ गए थे. दरअसल हुआ था यु की अमेरिका में स्कूलों में दिए जाने वाला भोजन पौष्टिकता की दृष्टि से उत्तम होना चाहिए. स्कूल में दिए जाने वाले भोजन में हरी सब्जियां फ्रूट तथा प्रोटीन से युक्त आहार होना जरूरी है.
टोमेटो केचप में टमाटर भरपूर मात्रा में होता है तथा विटामिंस और मिनरल्स होते है. बच्चों को टमाटर केचप खाने में ज्यादा पसंद है इसीलिए रोनाल्ड रिगन में टोमेटो केचप को सब्जियों की श्रृंखला में शामिल किया. और यहां से बवाल शुरू हो गया. बहुत सारे लोगों ने इसका विरोध किया, कारण यह था कि टोमेटो केचप में 25% तक शुगर रहता है .इसी बात का रोनाल्ड रिगन को पता नहीं था. अगर उन्होंने टोमेटो केचप की जगह टोमेटो सॉस को बच्चों के भोजन में शामिल किया होता तो यह बवाल खड़ा नहीं होता.
टोमेटो केचप टमाटर की ग्रेवी, शुगर, विनेगर तथा मसालों को मिलाकर बनाया जाता है. केचप को गाढ़ा बनाने के लिए इसमें कॉर्न सिरप या दूसरी सब्जियों की ग्रेवी भी मिलाई जा सकती है. दूसरी तरफ टमाटर सॉस को टमाटर, पानी, नमक और थोड़े मसाले डालकर बनाया जाता है. टमाटर के सॉस में शुगर नहीं डाला जाता है. अगर यह बारीक अंतर उस समय रोनाल्ड रिगन को पता होता तो वह यह मुसीबत में नहीं पड़ते.
वैसे देखा जाए तो टोमेटो केचप तथा टमाटर सॉस दोनों ही स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं. बस खाली केचप में शुगर ज्यादा होने की वजह से लोगों को ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. एक सर्वे के मुताबिक अगर 1 सप्ताह में दो बार टोमेटो केचप या टमाटर सॉस लिया जाए तो उसकी वजह से प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना कम हो जाती है.
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