जी नहीं. मनुष्य की उंगलियों के निशान कभी नहीं बदलते. मनुष्य के उंगलियों के निशान (fingerprint) उसकी एक प्राकृतिक पहचान होती है. कभी भी दो अलग-अलग आदमी के उंगलियों के निशान एक समान नहीं होते. जुड़वा बच्चों के भी उंगलियों के निशान अलग-अलग होते हैं. 64 अरब (1 अरब= 100 करोड़) लोगों में एक ऐसा किसका होता है जिसमें यह निशान मिलते जुलते होते हैं.
आमतौर पर किसी व्यक्ति के उंगलियों के निशान गर्भावस्था के 17वें सप्ताह में बनते हैं. उंगलियों के निशान (fingerprint) हमारे पैदा होने से पहले ही सेट हो जाते हैं. जैसे जैसे व्यक्ति बड़ा होता है उसके यह निशान आकार में बड़े होने लगते हैं परंतु इसकी रचना समान रहती है.
इसी खास विशिष्टता के कारण उंगलियों के निशान को सन 1920 से अदालतों में एक कानूनी सुराग के रूप में माना जाता है. किसी भी क्रिमिनल केस में उंगलियों के निशान एक अहम सुराग होता है.
उंगलियों के निशान प्राकृतिक तौर पर तो बदलते नहीं है, परंतु आदमी चाहे तो इसको बदल सकता है. गुन्हेगार गुनाह करने से पहले हाथों में कुछ तेल लगा लेता है या मोम लगाता है इससे उंगलियों के निशान ठीक से नहीं आते हैं. इतिहास में ऐसे गुनहगार भी है जिन्होंने एसिड से अपनी उंगलियों के निशान जला दिए थे.
क्या बिना उंगलियों के निशान वाला आदमी संभव है?
एडर्माटोग्लिफिया (Adermatoglyphia) एक ऐसा आनुवंशिक विकार है जिसके कारण किसी व्यक्ति के उंगलियों के निशान नहीं होते हैं. इस विकार वाले लोगों की उँगलियाँ, हथेलियाँ, पैर की उँगलियाँ और तलवे पूरी तरह से चिकने होते हैं.
कुछ त्वचा रोग त्वचा के डर्मिस और एपिडर्मिस को नष्ट कर देते हैं. नतीजतन, फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली के लिए इन व्यक्तियों के प्रिंट को पहचानना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.