भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई थी 21 अक्टूबर 1951 में राष्ट्रवादी नेता डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के द्वारा. इस पक्ष का असली नाम था भारतीय जन संघ. 1977 की इमरजेंसी के समय में इंदिरा गांधी को चुनौती देने के लिए बाकी काफी पक्षों की तरह भारतीय जन संघ भी जनता पक्ष में विलीन हो गया था. लेकिन बाद में अप्रैल, 1980 में भारतीय जन संघ जनता पार्टी से अलग हुआ और इसका नाम बदलकर भारतीय जनता पार्टी कर दिया गया.
भारतीय जनसंघ की स्थापना
भारत की स्वतंत्रता के बाद सर्वप्रथम बने प्रधान मंडल में श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्योग मंत्री थे. उस समय वह कांग्रेस के नेता थे. उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य को बाकी राज्यों से अलग समझ कर एक विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था. जैसे कि कश्मीर में मुख्यमंत्री को कश्मीर के प्रधानमंत्री बोला जाता था. कश्मीर का अलग से एक संविधान था. एवं कश्मीर का खुद का एक राष्ट्रध्वज था. इस बात का सबसे ज्यादा पुरजोर विरोध श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने ही किया था.
श्यामा प्रसाद मुखर्जी का मानना था कि नेहरू जी का यह कदम अलगाववादी ताक़तों को प्रेरित करता है. इसीलिए वे अप्रैल 19 1950 में कांग्रेस से अलग हो गए थे. और बाद में उन्होंने 1951 मैं भारतीय जन संघ नाम की एक अलग से पार्टी बनाई. भारतीय जनसंघ की मुख्य विषय विचारधारा यह थी एक देश, एक विधान (संविधान), एक प्रधान (प्रधान मंत्री), एक निशान (राष्ट्रध्वज).
11 मई 1953 में आंदोलन के लिए जब श्यामा प्रसाद कश्मीर गए. जहां पर नेहरू सरकार द्वारा उनकी गिरफ्तारी की गई कश्मीर में अन अधिकारी प्रवेश तथा आंदोलन के लिए. 23 जून 1953 में कश्मीर की जेल में उनकी हार्ट अटैक की वजह से मृत्यु हो गई. 2004 में, अटल बिहारी वाजपेयी ने दावा किया था कि उनकी हत्या “नेहरू षड्यंत्र” में की गई थी.
भारतीय जनसंघ का हिंदी भाषी प्रदेशों के एक राष्ट्रवादी पार्टी की तौर पर धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो रही थी. 1977 इंदिरा गांधीजी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी खत्म होते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा तथा बाकी काफी पार्टियों के द्वारा बनी हुई जनता पार्टी में भारतीय जनसंघ विलय हो गया.
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना
1980 में जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में निर्णय लिया कि जनसंघ के नेता RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से दूरी बनाए और उनसे अलग हो जाए. यह बात जनसंघ को कभी भी मंजूर नहीं थी. जनता पार्टी ने उनके नेताओं के ऊपर प्रतिबंध लगाया कि या तो वह जनता पार्टी के सभ्य रह सकते हैं या फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के. इसके विरोध में राष्ट्रीय जन संघ के सभ्य जनता पार्टी को छोड़कर अलग हो गए और भारतीय जनता पार्टी नाम की एक अलग पार्टी बनाई. अटल बिहारी वाजपेई BJP के प्रथम अध्यक्ष थे.
भारतीय जनता पार्टी एक हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी के तौर पर धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो रही थी. 1984 के चुनाव में उन्हें किसी की वजह से 2 सीटें मिली थी. 1984 में लालकृष्ण आडवाणी BJP के अध्यक्ष बने. उनकी अगुवाई में राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ. जिसका फायदा BJP को हुआ और उन्हें 1989 के चुनाव में 86 लोकसभा सीटें मिली. तब से लेकर आज तक भारतीय जनता पार्टी दिन-ब-दिन मजबूत होती आई है. 2019 में नरेंद्र मोदी जी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी को 303 सीटें मिली थी.
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