आज की तारीख में पाकिस्तान में कुछ ही पौराणिक मंदिर बचे है. पाकिस्तान की सरकार इन ऐतिहासिक मंदिरों को बचाने के लिए कभी भी आवश्यक प्रयाश नहीं किया है. इन मंदिरों की हालत जर्जरित होने को आई है. इस समय पाकिस्तान में जो लघुमति लोगों की हालत है, उसके अनुसार देखा जाए तो आने वाले समय में पाकिस्तान में एक भी पौराणिक मंदिर ना बचे तो उसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है. चलिए आज इस आर्टिकल में पाकिस्तान में बचे कुछ पौराणिक मंदिरों के बारे में जानते हैं.
कटासराज मंदिर
यह मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रोविंस मैं स्थित है. लाहौर से तकरीबन 270 किलोमीटर की दूरी पर कटास नाम के झील के पास यह मंदिर बना है. इस मंदिर का वर्णन पुराणों में भी मिलता है. पुराणों के अनुसार माता पार्वती के मृत्यु के बाद वियोग में भगवान शिव की आंखों से दो बूंद आंसू यहां पर गिरे थे. इससे यह कटास झील का निर्माण हुआ था. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने खुद अपने हाथों से इस मंदिर की नींव रखी थी.
महाभारत में भी इस कटासराज मंदिर का वर्णन मिलता है. पांडवों ने अपने वनवास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इस मंदिर के आसपास बिताया था. 2005 में भारत के पूर्व उप प्रधान मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा मंदिरों का दौरा किया गया था. उन्होंने पाकिस्तान सरकार को इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए निवेदन किया था. इसके बाद 2006 में पाकिस्तान सरकार ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए कुछ काम भी किया. लेकिन अब भी इस मंदिर की स्थिति इतनी बेहतर नहीं है.
हिंगलाज माता मंदिर
हिंगलाज माता का मंदिर पाकिस्तान में बलूचिस्तान के हिंगोल नेशनल पार्क में है. यह हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है. यह पाकिस्तान के तीन शक्ति पीठों में से एक है, अन्य दो शिवहरकाराय और शारदा पीठ हैं. यह शक्तिपीठ हिंगोल नदी के तट पर एक पहाड़ी गुफा में दुर्गा या देवी का एक रूप है. यहां माना जाता है कि आदिशक्ति मां दुर्गा का सर गिरा था. यह जगह इतनी खूबसूरत है कि एक बार यहां पर आने वाला व्यक्ति वापस आए बिना नहीं रहता. भगवान शिव ने माता सती के मृत्यु से क्रोधित महा विनाशक तांडव यहीं पर समाप्त किया था.
इस स्थल से जुड़ी अन्य एक मान्यता ऐसी भी है कि भगवान राम ने रावण के संहार के बाद यहीं पर आकर तपस्या की थी. विशाल पहाड़ के नीचे आए इस मंदिर में भगवान शिव का अर्वाचीन त्रिशूल भी मौजूद है. ऐसा माना जाता है गुरु गोविंद सिंह भी यहां पर आकर माता जी को शत शत नमन करते थे.
गोरी मंदिर
गोरी मंदिर पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बसे नगरपारकर का एक जैन मंदिर है. यह मंदिर तकरीबन 1375-1376 CE में बनाया गया था. यह जैन मंदिर विशेष रूप से 23वें जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ से जुडा हुआ है. इस जैन मंदिर की बनावट राजस्थान के माउंट आबू पर्वत पर बने हुए जैन मंदिरों से मिलती जुलती है. मार्बल के पत्थर से बना यह मंदिर स्थापत्य कला का है उत्तम नमूना है. यहां पर अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां है. पाकिस्तान के यह जिले में हिंदू आबादी ज्यादा है. जिसमें से अधिकतम आदिवासी है. पाकिस्तान में लघुमति की तरफ दिखाई जाने वाली ध्रिणा की वजह से आज यह मंदिर जर्जित अवस्था में आ चुका है.
मरी इंडस के प्राचीन मंदिर
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत कालाबाग में मरी इंडस एक बहुत ही प्राचीन नगर है. मरी नामक यह नगर पुराने समय में गांधार का एक हिस्सा था. इस समय यहां पर हिंदू सभ्यता बहुत ही विकसित थी. सिंधु नदी के नजदीक में बसा यह गांव हिंदू सभ्यता के ऐतिहासिक खंडहरों और सुंदर हिंदू मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. धीरे-धीरे यह ऐतिहासिक विरासत कट्टरपंथ की वजह से खत्म होने की कगार पर है.
गोरखनाथ मंदिर
पाकिस्तान के पेशावर में बचे हुए कुछ चुनिंदा मंदिरों में से एक मंदिर है गोरखनाथ का मंदिर. यह मंदिर 160 साल पुराना है. भारत के पार्टीशन के बाद इस मंदिर को बंद कर दिया गया था. 2011 में पाकिस्तान हाईकोर्ट ने इस मंदिर को वापस खुलवाया और वापस से यहां पर पूजा पाठ शुरू हुए. पाकिस्तान का यह मंदिर इस्लामिक कट्टरपंथी का सबसे ज्यादा शिकार हुआ है. इस मंदिर को काफी बार तोड़ा गया है यहां तक की भागवत गीता को भी यहां पर फाड़ा गया है. मंदिर को वापस शुरू करने के बाद कुछ कट्टरपंथियों ने तो भगवान की मूर्तियों को बाहर निकाल कर तोड़ भी दिया था.
श्री वरुण देव मंदिर
कराची के मनोरा कैंट में आया ए वरुण देव का यह 1000 साल पुराना मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. 1947 के पार्टीशन के बाद कुछ भूमाफियाओने इस मंदिर पर कब्जा जमा लिया था. 2007 में पाकिस्तान की हिंदू काउंसिल ने इस मंदिर को भूमाफिया उसे छुड़वाया और इसका जीर्णोद्धार करवाया.
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