इसका सीधा सा उत्तर है — नहीं.
सामान्यत: माता पिता अपने बच्चों को सलाह देते हैं कि टीवी को दूर से देखना चाहिए वरना के खराब हो जाएगी. किंतु यह बात एकदम गलत है टीवी को करीब से देखने पर आँखें खराब नहीं होती है. यह एक मान्यता मात्र है. यह तभी सच होता जब आप 1950 के दशक के टेलीविजन देखते जो कैथोड रे ट्यूब से बने होते हैं. उसमें भी एक शर्त है कि आपकी कैथोड रे ट्यूब खराब होनी चाहिए.
यह मान्यता की शुरुआत हुई थी 1960 के दशक में जब अमेरिकी टीवी निर्माता कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने खुलासा किया कि उसके कुछ मॉडल में कुछ ज्यादा ही एक्स-रे निकलते हैं. इसीलिए उन्होंने एक सलाह भी दी की टीवी से कुछ दूरी बनाकर इनको देखा जाए. वैसे भी उस दशक में सामान्य टीवी को भी 2 फूट की दूरी से देखने की सलाह दी जाती थी. उसका कारण यह था कि उस समय टीवी कैथोड रे ट्यूब से बनते थे जिसमें से हानिकारक पराबैंगनी किरणें (Ultravoilet rays) कुछ ज्यादा ही निकलती थी. जिसका विशेष रूप से नुकसान बच्चों को होता था. इसीलिए उस टाइम पर बच्चों को टीवी थोड़ी दूरी से देखने की सलाह दी जाती थी.
बाद में इस समस्या का समाधान यह निकाला गया की टीवी की स्क्रीन के ऊपर सीसा (lead) धातु का आवरण चढ़ाया जाए. 1960 में अमेरिका ने तो रेडिएशन कंट्रोल फॉर हेल्थ एंड सेफ्टी नामक कानून से इसे लागू भी किया. टेलीविजन की स्क्रीन के ऊपर बने इस सीसा धातु के आवरण की वजह से नुकसानकारक पार बैंगनी किरणें तथा एक्स-रे किरणें अब बाहर नहीं आ पाती थी.
वैसे भी आज के समय में अभी नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है टेलीविजन बनाने में, जैसे कि LED, LCD और प्लाज्मा . यह नई टेक्नोलॉजी की वजह से टेलीविजन को आप नज़दीक से देखो या दूर से आंखों को कभी कोई नुकसान नहीं होता है.
अगर आप टीवी को बहुत ज्यादा समय देखते हैं तो आपकी आँखें थक सकती है जो आपको सिर दर्द दे सकती है. वह भी तभी पॉसिबल है जब अंधेरे पर टीवी ज्यादा समय देखा जाए.
अगर आज के युग में आपकी आँखें खराब होती है तो उसका दोष टीवी को देना सही नहीं होगा. उसका कारण हो सकता है हमारी खाने पीने की खराब आदतें. अगर आपका बच्चा टीवी नज़दीकी से देखता है उसकी वजह से उसकी आँखें खराब नहीं हो रही है वह नज़दीक इसलिए बैठा है क्योंकि उसकी आँखें खराब है.