जब भी किसी देश की अर्थव्यवस्था का जीडीपी ग्रोथ नकारात्मक हो जाता है, तोकहा जाता है की इस अर्थव्यवस्था में Recession आ चुका है, यानी कि आर्थिक मंदी आ चुकी है. लेकिन कभी कबार ऐसी आर्थिक मंदी को लोग Depression भी बोलते हैं. जैसे कि अमेरिका सन 1929 से लेकर 1939 तक एक भयंकर आर्थिक मंदी से गुजरा था, इस आर्थिक मंदी को लोगों ने The Great Depression का नाम दिया था. तो आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि Recession तथा Depression में क्या फर्क होता है.
Recession किसे कहते है?
जब भी कोई देश की अर्थव्यवस्था का GDP ग्रोथ लगातार दो तिमाही तक नकारात्मक रहता है तो उसे हम लोग रिसेशन कहते हैं. जब भी किसी देश में विशेषण आता है तो वहां का जीडीपी ग्रोथ तथा घरेलू उत्पादन कम हो जाता है. तथा देश में बेरोजगारी बढ़ जाती है. खुदरा बिक्री में गिरावट होती है, और लोगों की आय में गिरावट होती है.
कुछ देशों में विशेषण को तभी माना जाता है जब जीडीपी ग्रोथ 6 महीने से लेकर 12 महीने तक नकारात्मक रहता है. लेकिन इन सब में एक बात निश्चित है कि रिसेशन एक लंबी अवधि तक नहीं रहता है. Recession इकोनामिक साइकिल का एक हिस्सा है. किसी भी अर्थव्यवस्था में तेजी तथा मंदी(Recession) अनिवार्य है. जब भी किसी देश में आर्थिक तेजी आती है तो उसके बाद आर्थिक मंदी आती ही है.
Depression किसे कहते है?
Depression देखा जाए तो एक तरह से Recession का भयावह स्वरूप है. जब भी कोई विशेषण के लंबे समय से गुजरता है तो हम मानते हैं कि इस देशकी अर्थव्यवस्था में डिप्रेशन आ चुका है.
सामान्य रूप से ऐसा माना जाता है कि किसी भी देश का जीडीपी ग्रोथ रेट 10% से ज्यादा नकारात्मक हो वह भी 3 साल तक तब इस देश की अर्थव्यवस्था Depression से गुजर रही है. इकोनॉमिकल डिप्रेशन के समय में लोगों के पास नौकरी या नहीं होती है. वस्तुओं की कीमतें आसमान को छू रही होती है. डिप्रेशन आर्थिक व्यवस्था का एक भयानक स्वरूप है.
किसी भी देश के लिए Recession से उबर पाना आसान है, लेकिन जब भी कोई देश Depression में जाता है तब वह देश एक लंबे समय तक इस आर्थिक कटौती में फंसा हुआ रहता है.
Interesting Fact
अमेरिका के The Great Depression से पहले Recession नाम का कोई शब्द नहीं था. जब भी किसी अर्थव्यवस्था में जीडीपी ग्रोथ नकारात्मक होता था, तो उसे Depression ही कहा जाता था Recession नहीं कहा जाता था.
The Great Depression के समय लोगों का मनोबल एक दम टूट चुका था. द ग्रेट डिप्रेशन ने लोगों के मन में एक भयानक छवि बनाई थी. इसी के लिए द ग्रेट डिप्रेशन के बाद कभी भी अर्थव्यवस्था में नेगेटिव ग्रोथ आता था, तो अर्थशास्त्रियों ने इसको डिप्रेशन की जगह पर Recession बोलना शरु किया. जिससे लोगों के मन में इसका नकारात्मक असर ना बने. जब भी यह रिसेशन 3 साल से भी ज्यादा चलता था तभी इस को डिप्रेशन कहा जाता है.
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