कभी कभी व्यक्ति की की जिंदगी के कुछ ऐसी असामान्य घटनाएं बनती है, जिससे आदमी की पूरी जिंदगी बदल जाती है. ऐसी ही एक अजीबोगरीब घटना बनी ईरान के मेंहरान के साथ. इस घटना ने मेहरान को एयरपोर्ट पर पूरी जिंदगी बिताने के लिए मजबूर कर दिया था. उसकी मृत्यु भी एयरपोर्ट पर हुई. कोई आदमी अपनी जिंदगी के पूरे 18 साल एक ही एयरपोर्ट से बिता दे यह कोई सामान्य घटना नहीं है. मेहरान की जीवन से प्रेरित होकर विश्व के प्रसिद्ध डायरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग ने भी हॉलीवुड में एक मूवी बनाई है. चलिए आज इस आर्टिकल में जानते हैं मेहरान के जीवन की पूरी दास्तान.
ईरान का एक सामान्य व्यक्ति
मेंहरान करीमी नस्सेरी का का जन्म ईरान में हुआ था. मेहरान के पिता ईरान में एक डॉक्टर थे त्तथा माता स्वीडिश थी. 28 साल की उम्र में वह ब्रिटन में आगे की पढाई की लिए आया. ब्रिटन में वह अभ्यास के साथ साथ पोलिटिकल एक्टिविटी में भी बहोत ही सक्रीय था. वह हमेशा ईरान के शाह द्वारा वहा की जनता पर होने वाले अमानवीय व्यवहारों की खिलाफ होने वालो आन्दोलनों में आगे बढ़कर भाग लेता था. वह ईरान के उस समय के शाह मोह्हमद रजा पहलवी खिलाफ भड़काऊ भाषण भी देता था.
इसी वजा से मेहरानईरान के अधिकारिओ की नजर में आ चूका था. जब वह अपनी पठाई ख़त्म करके ईरान पंहुचा तो वहा पर उसकी गिरफ्तारी हुई. मेंहरान पर देशद्रोह का मुक्कादमा चला और उसे जेल में भेज दिया गया. साजा ख़त्म होने पर उसे इरान से देशनिकाला दिया गया. बाद में उसने कई देशों में नागरिकता के लिए आवेदन किये, आखिर में बेल्जियम में शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त द्वारा उसे शरणार्थी का दर्जा दिया गया था.
एक चोरी ने मेहरान की पूरी जिंदगी बदल दी
एक बार वह फ्रांस से इंग्लैंड जा रहा था. बिच में उसका पासपोर्ट तथा शरणार्थि वाले सबी कागज़ चोरी हो गए. इसी वजह से इंग्लैंड की अथॉरिटी के सामने ना वह अपना पासपोर्ट पेश कर पाया ना ही कोई कागज. इससे इंग्लैंड की इमीग्रेशन अथॉरिटी ने उसे वापिस फ्रांस के एयरपोर्ट पर भेज दिया. पेरिस के एयरपोर्ट पर मेहरानके पास कोई भी कागज ना होने की वजह से पुलिस के हवाले कर दिया गया. उस पर केस हुआ और जेल में भेजा गया. सजा खत बहुत ही पुलिस अधिकारियों को पता नहीं चला कि इसका क्या किया जाए, इसीलिए पुलिस ने वापस उसको एयरपोर्ट पर ही छोड़ दिया. पुलिस को लगा कि वह वहां से भाग जाएगा और अपना कुछ ना कुछ जुगाड़ कर लेगा.
लेकिन मेहरान ने एयरपोर्ट से भागना पसंद नहीं किया और वह एयरपोर्ट पर ही रह गया. अब उसने चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे में टर्मिनल 1 अपना जीवन बिताना शरु किया. शुरुआती कुशल उसे टर्मिनल वन पर बिताए बाद में वह टर्मिनल 2 ऍफ़ पर चला गया. एयरपोर्ट की बेंच पर वह सो जाता था. एयरपोर्ट के ही बाथरूम को यूज करके वह फ्रेश हो जाता था. एयरपोर्ट के दुकानों पर से वह खाना खा लेता था. एयरपोर्ट के जो फ्रिक्वेंट फ्लायर थे, क्यों बार-बार एयरपोर्ट पर आते रहते थे वह लोग अब मेहरान को पहचानने लगे थे और उन्हीं लोगों से मेहरान को कुछ रुपए मिल जाते थे.
मेहरान कोई भिखारी की तरह एयरपोर्ट पर नहीं रह रहा था उसका रूआब एक पढ़े-लिखे आदमी का था. उसने कभी भी किसी से रुपए नहीं मांगे, लोग सामने से उसको देखकर पैसे दिया करते थे. ऐसे ही करते करते 18 साल उसने एयरपोर्ट से निकाल दिया. शायद उसको ऐसी ही जिंदगी पसंद थी. एयरपोर्ट अब उसके लिए एक घर बन चुका था. इन 18 सालों में काफी ह्यूमन राइट्स वालों ने मदद करने की कोशिश की, बेल्जियम तथा फ्रांस ने तो उसको अपनी नागरिकता देने के लिए भी ऑफर की थी. लेकिन मेहरान ने उस से इंकार कर दिया था.
एयरपोर्ट का पूरा स्टाफ अब मेहरान का दोस्त बन चुका था. सभी लोग उसको पहचानते थे और घर के सदस्य की तरह उसके साथ बर्ताव करते थे. उसके लिए खाने पीने की चीजें तथा कपड़े लाया करते थे. एयरपोर्ट का स्टाफ मेहरान को सर मेहरान के नाम से जानने लगे थे.
18 साल के बाद एअरपोर्ट से बहार आया
जुलाई 2006 अचानक से मेहरान की तबीयत खराब हो गई. 18 सालों के बाद पहली बार मेहरान एयरपोर्ट से बाहर निकला. यह मानव इतिहास का पहला किस्सा था जब कोई आदमी 18 सालों तक एक ही एअरपोर्ट पर रुका हो. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनके बैठने की जगह को तोड़ दिया गया. जनवरी 2007 के अंत में, उन्होंने अस्पताल छोड़ दिया. इसके बाद फ्रेंच रेड क्रॉस की द्वारा उनकी देखभाल की गई. उन्हें कुछ हफ्तों के लिए हवाई अड्डे के करीब एक होटल में रखा गया था.बाद में उन्हें चैरिटी रिसेप्शन सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया.
एअरपोर्ट पर ही हुई मृत्यु
सितम्बर २०२२ में वह वापिस एअरपोर्ट पर रहने के लिए चला आया. उसे सिटी में रहने की अब आदत नहीं थी. आखिर में 12 नवंबर 2022 को चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे पर दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई.
मेहरान की जिंदगी पर बनी मूवी.
2004 में आई मूवी द टर्मिनल मेंहरान की जिंदगी से प्रेरित थी. इस मूवी को विश्व के महानतम डायरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग ने बनाया था. इस फिल्म में मेंहरान का किरदार मशहूर अभिनेता टॉम हैंक्स ने निभाया था. इस फिल्म को काफी सारे अवॉर्ड्स मिले हैं.
इस से पहले मेहरान नासेरी की जिंदगी से प्रेरित हो कर 1993 में एक फ्रांसीसी फिल्म “Tombés du ciel” भी बनी थी. बाद में यही फिल्म अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “लॉस्ट इन ट्रांजिट” शीर्षक के तहत जारी की गई थी.
2004 में, मेहरान नासेरी की आत्मकथा, द टर्मिनल मैन प्रकाशित हुई. इसे खुद मेहरान ने ब्रिटिश लेखक एंड्रयू डोनकिन के साथ मिलकर लिखा था.
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