Sunday, May 19, 2024
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क्या शुतुरमुर्ग जब भयभीत होता है तो अपना सिर रेत में घुसा देता है?

हम लोग ऐसा मानते हैं कि शुतुरमुर्ग जब भयभीत या डरा हुआ होता है तो घबराहट में अपना सिर रेत में घुसा देता है.  लेकिन वास्तव में शुतुरमुर्ग ऐसा कुछ नहीं करता है, एक मान्यता मात्र है. अगर शुतुरमुर्ग अपना भी रेत में घुसा देता है तो सांस लेने में असमर्थ होगा, इसलिए शुतुरमुर्ग खतरे से बचने के लिए ऐसा कभी नहीं करेगा. 

शुतुरमुर्ग अगर डरा हुआ है तो भागना ज्यादा पसंद करेगा ना की रेत में मुंह घुसा ना. शुतुरमुर्ग प्रति घंटे 65 किलोमीटर की रफ्तार  से भाग सकता है सतत 30 मिनट तक. शुतुरमुर्ग दो पैर वाला सबसे तेज प्राणी है.  और जंगल की बात की जाए तो खाली चीता एकमात्र ऐसा प्राणी है जो उसे पकड़ पाए.

रफ्तार के अलावा अगर शारीरिक बल की बात की जाए तो वह 160 किलो का पक्षी है जिसकी गर्दन 9 फीट लंबी है. उसकी एक पावरफुल की काफी है एक सही को मार गिराने के लिए.  तो फिर डर के समय में शुतुरमुर्ग का रेत में  सिर घुसाने का कोई मतलब ही नहीं है.

यह तो एकदम साफ है कि शुतुरमुर्ग ऐसा नहीं करता है तो फिर यह मान्यता बनी कैसे? 

नर शुतुरमुर्ग अपना परिवार सामान्य तौर पर तीन से चार मादा शुतुरमुर्ग के साथ बसाता है. और उनके कुल 25 से 30 अंडे होते हैं जो वजन में डेढ़ किलो के आसपास होते हैं और काफी बड़े होते हैं. इन गोलाकार अन्डो को जमीन में रखने के लिए शुतुरमुर्ग रेत में गड्ढा बनाता है. दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि शुतुरमुर्ग ने अपना मुंह जमीन में घुसा के रखा हुआ है. अंडों को जमीन में सुरक्षित रूप से रखने के बाद नर और मादा अंडे की ओर मुंह करके उन्हें बचाने के लिए बैठे रहते हैं, जब तक कि वे तैयार नहीं हो जाते. दिन में कुछ बार, शुतुरमुर्ग के माता-पिता अपने सिर को धीरे से अपनी चोंच का उपयोग करके जमीन के नीचे डुबोते हैं. क्योंकि शुतुरमुर्ग का सिर बहुत छोटा होता है अपने शरीर के हिसाब से इसके लिए दूर से देखने पर ऐसा आभास बनता है कि शुतुरमुर्ग अपना सिर रेत में घुसा रहा है.

“शुतुरमुर्ग जब भयभीत होता है तो अपना सिर रेत में घुसा देता है?"

“शुतुरमुर्ग जब भयभीत होता है तो अपना सिर रेत में घुसा देता है”,  इस बात का वर्णन इसवी २६ में जन्मे Pliny the Elder नामके एक प्राणिविद ने अपने बड़े पुस्तक में किया था. यह पुस्तक रोमन समय में प्राणी जगत की encyclopedia मानी जाती थी. इसके बाद सभी लोगो ने इस बात की नक़ल करना शरु किया और अपनी बुको में छपते गए, लेकिन किसी ने पुस्ती करना मुनासिफ नहीं समजा. यह भी एक कारण है कि यह मान्यता और पुख्ता बन गई थी.

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Referance

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